दरसन 21
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)
नवां यरूसलेम
21 तब मेंह एक “नवां अकास अऊ एक नवां धरती”[a] देखेंव। पहिली अकास अऊ पहिली धरती दूनों लोप हो गे रिहिन, अऊ कोनो समुंदर घलो नइं रिहिस। 2 अऊ मेंह पबितर सहर नवां यरूसलेम ला परमेसर के इहां ले स्वरग ले उतरत देखेंव। ओह अपन घरवाला खातिर दुल्हिन के सहीं सुघर सजे रहय। 3 अऊ मेंह सिंघासन ले ऊंचहा अवाज म, ए कहत सुनेंव, “देखव! अब परमेसर के निवास मनखेमन के बीच हवय, अऊ ओह ओमन के संग रहिही। ओमन ओकर मनखे होहीं, अऊ परमेसर ह खुद ओमन के संग रहिही। 4 ओह ओमन के आंखी के जम्मो आंसू ला पोंछही। उहां न मिरतू होही, न कोनो सोक मनाही या रोही, अऊ न ही कोनो ला कोनो किसम के पीरा होही, काबरकि पुराना बातमन खतम हो गे हवंय।”
5 जऊन ह सिंघासन म बिराजे रिहिस ओह कहिस, “मेंह हर एक चीज ला नवां बनावत हवंव।” तब ओह कहिस, “एला लिख ले, काबरकि ए बात ह बिसवास लइक अऊ सत ए।”
6 ओह मोला कहिस, “एह पूरा होईस। मेंह अलफा अऊ ओमेगा, आदि अऊ अंत अंव। जऊन ह पियासा हवय, ओला मेंह जिनगी के पानी के सोता म ले मुफत म पीये बर दूहूं। 7 जऊन ह जय पाही, ओला ए जम्मो चीज मिलही, अऊ मेंह ओकर परमेसर होहूं, अऊ ओह मोर बेटा होही। 8 पर डरपोक, अबिसवासी, दुस्ट, हतियारा, छिनारी करइया, जादू-टोनहा करइया, मूरती पूजा करइया अऊ जम्मो लबरामन ओ कुन्ड म जगह पाहीं, जऊन ह आगी अऊ गंधक ले धधकत हवय। एह दूसरा मिरतू ए।”
9 तब ओ सात स्वरगदूतमन, जेमन करा सात ठन आखिरी महामारी ले भरे सात ठन कटोरा रहय, ओम ले एक झन मोर करा आईस अऊ कहिस, “आ, मेंह तोला दुल्हिन याने कि मेढ़ा-पीला के घरवाली ला देखाहूं।” 10 ओ स्वरगदूत ह आतमा के सामरथ ले मोला एक बड़े अऊ ऊंच पहाड़ ऊपर ले गीस, अऊ ओ पबितर सहर – यरूसलेम ला देखाईस, जऊन ह स्वरग ले परमेसर के इहां ले उतरत रहय। 11 ओह परमेसर के महिमा ले चमकत रहय अऊ ओकर चमक ह एक बहुंत महंगा पथरा – मनी सहीं एकदम साफ रहय। 12 ओकर चारों कोति एक बड़े अऊ ऊंच दिवाल रहय। दिवाल म बारह ठन कपाट रहय अऊ ए कपाटमन म बारह झन स्वरगदूत ठाढ़े रहंय। ए कपाटमन म इसरायल के बारह गोत्र के नांव लिखाय रहय – हर कपाट म एक नांव। 13 पूरब म तीन, उत्तर म तीन, दक्खिन म तीन अऊ पछिम म तीन कपाट रिहिन। 14 सहर के दिवाल के बारह ठन नींव के पथरा रहय अऊ ओमन म मेढ़ा-पीला के बारह प्रेरितमन के नांव लिखाय रहय – हर पथरा म एक नांव।
15 जऊन स्वरगदूत ह मोर ले गोठियावत रिहिस, ओकर करा सहर, ओकर कपाट अऊ दिवाल ला नापे बर नापे के सोन के एक छड़ रहय। 16 ओ सहर ह चौखट्टा आकार म बसे रिहिस। ओकर लम्बई ह ओकर चौड़ई के बरोबर रहय। स्वरगदूत ह सहर ला सोन के छड़ म नापिस, त ओह करीब दू हजार दू सौ चालीस किलोमीटर निकरिस। ओकर लम्बई, चौड़ई अऊ ऊंचई बरोबर रिहिस। 17 ओह सहर के दिवाल ला घलो नापिस। स्वरगदूत ह मनखे के नाप के हिसाब म नापिस, अऊ सहर के दिवाल के ऊंचई ह करीब 65 मीटर निकरिस। 18 सहर के दिवाल ह मनी के बने रिहिस अऊ सहर ह चोखा सोना के बने रिहिस, जऊन ह कांच सहीं सुध रिहिस। 19 सहर के दिवाल के नींव ह जम्मो किसम के कीमती पथरा ले सजे रहय। पहिली नींव ह मनी के रिहिस, दूसरा ह नीलम, तीसरा ह सुलेमानी, चौथा ह पन्ना, 20 पांचवां ह गोमेदक, छठवां ह मानिक्य, सातवां ह पीतमनी, आठवां ह फिरोजा, नौवां ह पुखराज, दसवां ह लहसनिये, गियारहवां ह नगीना अऊ बारहवां ह नीलमनी के बने रिहिस। 21 बारह कपाटमन बारह मोतीमन ले बने रिहिन। एक-एक कपाट ह एक-एक मोती के बने रिहिस। सहर के गली ह आर-पार दिखइया साफ कांच सहीं चोखा सोना के बने रिहिस।
22 मेंह सहर म कोनो मंदिर नइं देखेंव, काबरकि सर्वसक्तिमान परभू परमेसर अऊ मेढ़ा-पीला एकर मंदिर अंय। 23 अऊ सहर ला सूरज या चंदा के अंजोर के जरूरत नइं रिहिस, काबरकि परमेसर के महिमा ओला अंजोर देवत रिहिस अऊ मेढ़ा-पीला ओकर दीया रिहिस। 24 संसार के मनखेमन ओकर अंजोर म रेंगही अऊ संसार के राजामन ओम अपन सोभा लानहीं। 25 ओ सहर के कपाटमन कभू बंद नइं होही, अऊ उहां कभू रात नइं होही। 26 जम्मो देस के महिमा अऊ आदर ओम लाने जाही। 27 कोनो असुध चीज कभू ओ सहर म घुसरे नइं पाही अऊ न ही ओ मनखे, जऊन ह लज्जा के काम करथे या धोखा देवइया काम करथे; पर सिरिप ओमन घुसरे पाहीं, जेमन के नांव मेढ़ा-पीला के जिनगी के किताब म लिखाय हवय।
Footnotes
- 21:1 यसायाह 65:17
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.